Thursday, 4 August 2022

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Vietnam War Review

 वियतनाम युद्ध की विवेचना 


पृष्ठ भूमि - द्वितीय विश्वयुद्ध के पूर्व वियतनाम, लाओस और कम्बोडिया सम्मिलित रूप से फ्रांस का हिंदचीन नामक उपनिवेश था। द्वितीय विश्वयुद्ध में हिंदचीन के अनेक भागों पर जापान का अधिकार हो गया। इसके पूर्व से ही हिंदचीन में फ्रांस से मुक्त होने के लिए आंदोलन चल रहा था।


जापान का विरोध - हो-ची-मिन्ह वियतनाम के सबसे लोकप्रिय नेता थे। उन्हीं के नेतृत्व में वियतनामी जनता ने जापानी कब्जे का विरोध किया और वियतमिन्ह नाम से एक जनसेना का संगठन किया। द्वितीय विश्वयुद्ध के समाप्त होने तक वियतनाम के बड़े हिस्से पर वियतमिन्ह का नियंत्रण हो चुका था। अगस्त, 1945 में राष्ट्रपति हो ची मिन्ह के नेतृत्व में स्वतंत्र वियतनाम गणतंत्र की घोषणा हुई।


फ्रांस के साथ युद्ध - अक्टूबर, 1945 में वियतनाम पर पुनः अधिकार करने के लिए फ्रांसीसी सेना वहाँ आ गई। 1946 ई० में फ्रांसीसी सेना तथा वियतनाम की वियतमिन्ह सेना में युद्ध छिड़ गया। फ्रांस ने बाओ-दाई के नेतृत्व में वहाँ एक कठपुतली सरकार भी बैठा दी। फ्रांस और वियतनाम का युद्ध लगभग आठ वर्षों तक चला। 1954 ई० में वियतनाम की सेना वियतमिन्ह नै दिएन बिएन-फू के किले के पास फ्रांसीसी सेना को बुरी तरह पराजित किया। दिएनबिएन-फू में फ्रांसीसियों की पराजय की चर्चा काफी दिनों तक होती रही क्योंकि बिना आधुनिक शस्त्रों के एक जनसेना वियतमिन्ह ने फ्रांस जैसे शक्तिशाली देश को युद्ध में हरा दिया था।


जेनेवा का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और वियतनाम का विभाजन - 1954 ई० में जेनेवा में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया गया। इसके निर्णय के अनुसार वियतनाम को दो भागों में बाँट दिया गया-उत्तरी वियतनाम और दक्षिणी वियतनाम। साथ ही, दो वर्षों के भीतर वियतनाम के एकीकरण के लिए चुनाव करने का भी निश्चय किया गया। लाओस और कम्बोडिया को भी स्वतंत्र कर दिया गया।


अमेरिका के साथ युद्ध - वियतनाम के विभाजन के बाद वहाँ स्वतंत्र आंदोलन का एक नया दौर शुरू हुआ। विभाजन संबंधी समझौते के अनुसार उत्तरी वियतनाम में हो ची मिन्ह के नेतृत्व में साम्यवादी सरकार बनी और दक्षिणी वियतनाम में न्यो-पिन्ह-वियम ने शासन संभाला। पर, अमेरिका के समर्थन से दक्षिणी वियतनाम में बनी सरकार ने जेनेवा सम्मेलन के चुनाव कराने और वियतनाम के एकीकरण के फैसले को मानने से इनकार कर दिया। फलत:, 1960 ई० में दक्षिणी वियतनाम की सरकार के विरूद्ध जन आंदोलन आरंभ हो गया। वहाँ की जनता ने 'कांग' नामक एक संगठन बनाया और सरकार के विरुद्ध हिंसात्मक कार्रवाई शुरू कर दी। इसके बाद वियतनाम सरकार ने वियतनाम में बड़े पैमाने पर सैनिक हस्तक्षेप किया। दक्षिणी वियतनाम के आंदोलन को दबाने के लिए अमेरिका ने आधुनिक अस्त्र-शस्त्र से लैश लाखों सैनिकों को वहाँ भेज दिया। दक्षिणी वियतनाम की जनता ने राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में छापामार युद्ध आरंभ कर दिया। दक्षिणी वियतनाम को उत्तरी वियतनाम का भी समर्थन प्राप्त था। अतः अमेरिकी सेना ने उत्तरी वियतनाम में भी युद्ध शुरू कर दिया। इस युद्ध में अमेरिकी सेनाओं को भारी बम वर्षा के कारण वियतनाम की बड़ी क्षति हुई। अमेरिकी सेनाओं ने कीटाणु युद्ध के अस्त्रों का भी उपयोग किया।


वियतनाम द्वारा स्वतंत्रता की प्राप्ति - इस युद्ध के प्रश्न पर अमेरिका दुनिया के लगभग सभी देशों से पूरी तरह अलग-थलग पड़ गया। कई देशों ने अमेरिका की कार्रवाई की तीव्र निंदा की स्वयं अमेरिका में भी इस युद्ध का विरोध हुआ। 1975 ई० के आरंभ में युद्ध एक निर्णायक मोड़ पर आया। उत्तरी वियतनाम और दक्षिणी वियतनाम की राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा की सेनाएँ पूरे देश पर छा गई। उन्होंने दक्षिणी वियतनाम सरकार की समर्थित सेनाओं का सफाया कर दिया। इस युद्ध में अमेरिका के लगभग 54 हजार सैनिक मारे गए। इसके बाद अमेरिकी सेना वियतनाम से हटने लगी और 30 अप्रैल, 1975 तक सारी अमेरिकी सेना हट गई। इसके बाद दक्षिणी वियतनाम की राजधानी सैगोन को मुक्त करा लिया गया।


वियतनाम का एकीकरण - 1976 ई० में उत्तरी और दक्षिणी वियतनाम औपचारिक रूप से मिलकर एक हो गए। सैगोन शहर का नाम महान वियतनामी नेता हो-ची-मिन्ह की स्मृति में हो-ची-मिन्ह नगर रखा गया। 


वियतनाम के एकीकरण तथा स्वतंत्रता प्राप्ति का महत्व - उत्तरी और दखिणी वियतनाम के एकीकरण तथा उनका स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उदय विश्व इतिहास की महत्वपूर्ण घटना है। एक छोटे से देश ने विश्व की सबसे बड़ी शक्ति की सेना का डटकर मुकाबला करने और उसे पराजित करने के बाद पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त की थी तथा अपना एकीकरण किया था। अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले देशों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा।


अमेरिका के हस्तक्षेप के समाप्त होने पर वियतनाम को एक और युद्ध करना पड़ा। फ्रांस तथा अमेरिका के विरूद्ध स्वाधीनता के लिए वियतनाम और कंबोडिया तथा लाओस की जनता ने मिलकर युद्ध किया था। अमेरिका की सेना के कटने के बाद वियतनाम और कंबोडिया स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आए।


कंबोडिया में पोलपोट के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ। इस सरकार ने कंबोडिया की जनता पर अत्याचार करना शुरू किया और नरसंहार की नीति अपनाने लगी। ऐसा अनुमान है। कि लगभग तीस लोगों को मार दिया गया। 1979 ई० में वियतनाम की सरकार कंबोडिया की जनता की मदद के लिए आगे आई। उसकी सहायता से पोलपोट की सरकार को हटा दिया गया। पर, पोलपोट की सेना ने थाइलैंड से मिली सीमा के दूसरी ओर से युद्ध करना जारी रखा। हाल में वियतनाम की सेना कंबोडिया से हट गई है और वहाँ शांति की स्थापना हेतु बातचीत जारी है। पोलपोट की सरकार को चीन का समर्थन प्राप्त था। 1979 ई० में चीन ने वियतनाम पर भी आक्रमण किया था, पर उसे कोई सफलता नहीं मिली।


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