Monday 25 May 2020

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Fall of Japanese Imperialism

जापानी साम्राज्यवाद के पतन के कारणों

एशिया में जापान का उदय एवं जापानी साम्राज्यवाद के प्रसार तथा जापानी साम्राज्य का निर्माण एक चमत्कार माना जाता है। इसमें जापान की आंतरिक एवं वाहय परिस्थितियों ने पर्याप्त योगदान दिया। 1902 ई0 की Anglo-Japanese Treaty की आधारशीला पर जापान ने इस भव्य साम्राज्य का निर्माण किया तथा रूस, जर्मनी आदि को नीचा दिखाया। परंतु द्वितीय महायुद्ध में भाग्य ने जापान का साथ नहीं दिया और जापानी साम्राज्यवाद पतन की ओर अग्रसर हुआ।

जापानी साम्राज्यवाद के पतन के निम्नलिखित कारण प्रमुख हैं -
  1. जापान ने जर्मनी के साथ गठबंधन किया परंतु जापान की पराजय हो गई तथा उसके साथ ही जापानी साम्राज्यवाद का पतन भी निश्चित हो गया।
  2. जापान ने अमेरिकी उत्पादन शक्ति का सही मूल्यांकन नहीं किया तथा पर्ल बंदरगाह दुर्घटना के एक वर्ष के अंदर अमेरिकी व्यवस्था ने अपना चमत्कार दिखाना प्रारंभ किया। फलतः जापानी साम्राज्यवाद पतन की ओर अग्रसर हुआ।
  3. तृतीयतः जापानी नेताओं ने जर्मनी की शक्ति का गलत अनुमान लगाया और रूस में जर्मनी की प्रारंभिक विजयो ने जापान को संयुक्त राज्य के विरुद्ध अंतिम फैसला हेतु सचेष्ट कर दिया, जिसके कारण एशियाई युद्ध भी विश्वयुद्ध का अंग बन गया। इसके अलावा जापान के अधिकृत क्षेत्र दूर-दूर थे। अतः उन पर कब्जा बनाये रखना असंभव था। इस कारण भी जापानी साम्राज्यवाद पतनोमुख हुआ।
  4. जापान में खनिज पदार्थों एवं पेट्रोल की कमी उसकी मौलिक कमजोरी थी जिससे जापान को अंतिम दिनों में काफी संकट उठाना पड़ा। फलतः जापानी साम्राज्य का पतन निश्चित हो गया।
  5. जापान की तत्कालिन परिस्थितियाँ भी निराशापूर्ण थी और उसका भाग्य जर्मनी से बंधा था अतः जर्मनी की हार से उसकी हार भी निश्चित हो गई और जापानी समाजवाद का इस तरह गौरवपूर्ण अंत हो गया।
  6. उपर्युक्त कारणों के अलावा अणुबम ने जापान को भयंकर विनाश में डालकर प्रलय ला दिया। अतः वर्षों से संजीव संजोयी जापानी साम्राज्य की नींव बालू की भीत की तरह ढह गई और जापान स्वयं मित्र राष्ट्रों के अधीन आ गया। इस प्रकार जापानी साम्राज्यवाद का सूर्य अस्त हो गया।
  7. जापानी साम्राज्यवाद के पतन हेतु उसकी जल और थल सेना की पारस्परिक ईर्ष्या और प्रतिद्वंद्विता भी उत्तरदायी है।
  8. चीन-युद्ध को समाप्त करने हेतु जापान ने महायुद्ध में भाग लिया था। परंतु नाजी जर्मनी के पतनोपरांत जापान को अकेले ही युद्ध के बाद विश्व की तीन बड़ी शक्तियों का विरोध सहना पड़ा जिसका अंत जापानी साम्राज्यवाद के पतन में परिणत हुआ।
        संक्षेप में, निष्कर्षत यह भली-भांति कहा जा सकता है कि इन्हीं उपयुक्त वर्णित कारणों से जापानी साम्राज्यवाद का पतन हो गया।

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