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Tuesday, 12 September 2023

Chief Election Commissioner of India

क्र० नाम पद अवधि
1. सुकुमार सेन 21 मार्च, 1950 - 19 दिसम्बर, 1958
2. के०वी०के० सुंदरम 20 दिसम्बर, 1958 - 30 सितम्बर, 1967
3. एस०पी० सेन वर्मा 1 अक्टूबर, 1967 - 30 सितम्बर, 1972
4. डॉ० नगेन्द्र सिंह 1 अक्टूबर, 1972 - 6 फरवरी, 1973
5. टी० स्वामीनाथन 7 फरवरी, 1973 - 17 जून, 1977
6. एस०एल० शकधर 18 जून, 1977 - 17 जून, 1982
7. आर०के० त्रिवेदी 18 जून, 1982 - 31 दिसम्बर, 1985
8. आर०वी०एस० पेरिशास्त्री 1 जनवरी, 1986 - 25 नवम्बर, 1990
9. श्रीमती वी०एस० रमादेवी 26 नवम्बर, 1990 - 11 दिसम्बर, 1990
10. टी०एन० शेषन 12 दिसम्बर, 1990 - 11 दिसम्बर, 1996
11. एम०एस० गिल 12 दिसम्बर, 1996 - 13 जून, 2001
12. जे०एम० लिंगदोह 14 जून, 2001 - 7 फरवरी, 2004
13. टी०एस० कृष्णामूर्ति 8 फरवरी, 2004 - 15 मई, 2005
14. बी०बी० टंडन 16 मई, 2005 - 29 जून, 2006
15. एन० गोपालस्वामी 30 जून, 2006 - 20 अप्रैल, 2009
16. नवीन चावला 21 अप्रैल, 2009 - 29 जुलाई, 2010
17. एस०वाई० कुरैशी 30 जुलाई, 2010 - 10 जून, 2012
18. वी०एस० संपत 11 जून, 2012 - 15 जनवरी, 2015
19. हरिशंकर ब्रह्मा 16 जनवरी, 2015 - 18 अप्रैल, 2015
20. नसीम जैदी 19 अप्रैल, 2015 - 5 जुलाई, 2017
21. अचल कुमार ज्योति 6 जुलाई, 2017 - 22 जनवरी, 2018
22. ओम प्रकाश रावत 23 जनवरी, 2018 - 1 दिसम्बर, 2018
23. सुनील अरोड़ा 2 दिसम्बर, 2018 - 12 अप्रैल, 2021
24. सुशील चन्द्रा 13 अप्रैल, 2021 - 14 मई, 2022
25. राजीव कुमार 15 मई, 2022 - अब तक

Chief Election Commissioner of India
Chief Election Commissioner of India



Last Update:-12/09/2023

Friday, 18 August 2023

Chief Justice of India

क्र० नाम पद अवधि
1. हरिलाल जे० कानिया 26 जनवरी, 1947 - 6 नवम्बर, 1951
2. एम० पंतजलि शास्त्री 7 नवम्बर, 1951 - 3 जनवरी, 1954
3. मेहर चंद महाजन 4 जनवरी, 1954 - 22 दिसम्बर, 1954
4. बी० के० मुखर्जी 23 दिसम्बर, 1954 - 31 जनवरी, 1956
5. एस०आर० दास 1 फरवरी, 1956 - 30 सितम्बर, 1959
6. भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा 1 अक्टूबर, 1959 - 31 जनवरी, 1964
7. पी०बी० गजेंद्रगडकर 1 फरवरी, 1964 - 15 मार्च, 1966
8. ए०के० सरकार 16 मार्च, 1966 - 29 जून, 1966
9. के० सुब्बाराव 30 जून, 1966 - 11 अप्रैल, 1967
10. के० एन० वांचू 12 अप्रैल, 1967 - 24 फरवरी, 1968
11. एम० हिदायतुल्लाह 25 फरवरी, 1968 - 16 दिसम्बर, 1970
12. जे०सी० शाह 17 दिसम्बर, 1970 - 21 जनवरी, 1971
13. एस०एम० सीकरी 22 जनवरी, 1971 - 25 अप्रैल, 1973
14. ए०एन० रे 26 अप्रैल, 1973 - 28 जनवरी, 1977
15. एम०एच० बेग 29 जनवरी, 1977 - 21 फरवरी, 1978
16. वाई०वी० चंद्रचूड़ 22 फरवरी, 1978 - 11 जुलाई, 1985
17. प्रफुल्लचंद्र नटवरलाल भगवती 12 जुलाई, 1985 - 20 दिसम्बर, 1986
18. रघुनन्दन स्वरूप पाठक 21 दिसम्बर, 1986 - 18 जून, 1989
19. ई०एस० वेंकटरमैया 19 जून, 1989 - 2 दिसम्बर, 1989
20. एस० मुखर्जी 18 दिसम्बर, 1989 - 25 सितम्बर, 1990
21. रंगनाथ मिश्र 25 सितम्बर, 1990 - 24 नवम्बर, 1991
22. के०एन० सिंह 25 नवम्बर, 1991 - 12 दिसम्बर, 1991
23. एम०एच० कानिया 13 दिसम्बर, 1991 - 17 नवम्बर, 1992
24. एल०एम० शर्मा 18 नवम्बर, 1992 - 11 फरवरी, 1993
25. एम०एन० वेंकटचलैया 12 फरवरी, 1993 - 24 अक्टूबर, 1994
26. ए०एम० अहमदी 25 अक्टूबर, 1994 - 24 मार्च, 1997
27. जे०एस० वर्मा 25 मार्च, 1997 - 17 जनवरी, 1998
28. एम०एम० पंछी 18 जनवरी, 1998 - 9 अक्टूबर, 1998
29. ए०एस० आनन्द 10 अक्टूबर, 1998 - 31 अक्टूबर, 2001
30. एस०पी० भरुचा 1 नवम्बर, 2001 - 5 मई, 2002
31. बी०एन० कृपाल 6 मई, 2002 - 7 नवम्बर, 2002
32. जी०बी० पटनायक 8 नवम्बर, 2002 - 18 दिसम्बर, 2002
33. वी०एन० खरे 19 दिसम्बर, 2002 - 1 मई, 2004
34. एस०राजेन्द्र बाबू 2 मई, 2004 - 31 मई, 2004
35. आर०सी० लाहोटी 1 जून, 2004 - 31 अक्टूबर, 2005
36. वाई० के० सब्बरवाल 1 नवम्बर, 2005 - 13 जनवरी, 2007
37. के०जी० बालाकृष्णनन 14 जनवरी, 2007 - 11 मई, 2010
38. एस०एच० कपाड़िया 12 मई, 2010 - 28 सितम्बर, 2012
39. अल्तमश कबीर 29 सितम्बर, 2012 - 18 जुलाई, 2013
40. पी० सदाशिवम 19 जुलाई, 2013 - 26 अप्रैल, 2014
41. आर०एम० लोढ़ा 27 अप्रैल, 2014 - 27 सितम्बर, 2014
42. एच०एल० दत्तू 28 सितम्बर, 2014 - 2 दिसम्बर, 2015
43. टी०एस० ठाकुर 3 दिसम्बर, 2015 - 3 जनवरी, 2017
44. जे०एस० खट्टर 4 जनवरी, 2017 - 27 अगस्त, 2017
45. दीपक मिश्रा 28 अगस्त, 2017 - 2 अक्टूबर, 2018
46. रंजन गोगोई 3 अक्टूबर, 2018 - 17 नवम्बर, 2019
47. शरद अरविन्द बोबड़े 18 नवम्बर, 2019 - 23 अप्रैल, 2021
48. एन०वी० रमण 24 अप्रैल, 2021 - 26 अगस्त, 2022
49. उदय उमेश ललित 27 अगस्त, 2022 - 8 नवम्बर, 2022
50. धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़ 9 नवम्बर, 2022 - अब तक

Chief Justice of India
Chief Justice of India



Last Update:-18/08/2023

Thursday, 20 July 2023

National symbols of India

राष्ट्रीय चिह्न

  • राष्ट्रीय चिह्न सारनाथ स्थित अशोक के सिंह- स्तम्भ के शीर्ष की अनुकृति है।
  • सारनाथ स्थित अशोक के सिंह-स्तम्भ में चार शेर खुले मुख करके एक-दूसरे की ओर पीठ करके दृष्टिगोचर होते हैं। राष्ट्रीय चिह्न में सिर्फ तीन ही शेर दिखाई देते हैं, जिनके नीचे की पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है, जिसके दाईं ओर एक सांड़ और बाईं ओर एक घोड़ा है। दाएँ तथा बाएँ छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे दृष्टिगत होते हैं।
  • राष्ट्रीय चिह्न के दो भाग हैं - शीर्ष और आधार।
  • शीर्ष पर शेर को दिखलाया गया है, जो साहस व शक्ति का प्रतीक है।
  • आधार भाग में एक धर्म-चक्र है। चक्र के दाईं ओर एक बैल है, जो कठिन परिश्रम व स्फूर्ति का प्रतीक है तथा बाईं ओर एक घोड़ा है, जो ताकत व गति का प्रतीक है।
  • आधार के बीच में देवनागरी लिपि में 'सत्यमेव जयते' लिखा गया है, जो मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है।
  • इस राष्ट्रीय चिह्न को 26 जनवरी, 1950 को अपनाया गया था।
  • इस राष्ट्रीय चिह्न का प्रयोग सरकारी कागजों, नोटों, सिक्कों तथा मोहरों पर होता है।
राष्ट्रीय ध्वज
  • संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) का प्रारूप 22 जुलाई, 1947 को अपनाया था।
  • ध्वज में समान अनुपात वाली तीन आड़ी पट्टियाँ हैं, जो केसरिया, सफेद व हरे रंग की हैं।
  • ध्वज के ऊपर गहरा केसरिया रंग होता है, जो जागृति, शौर्य तथा त्याग का प्रतीक है, बीच में सफेद रंग होता है, जो सत्य एवं पवित्रता का प्रतीक है तथा सबसे नीचे गहरा हरा रंग होता है, जो जीवन एवं समृद्धि का प्रतीक है।
  • ध्वज के बीच में सफेद रंग वाली पट्टी के बीच में गहरे नीले रंग का 24 तीलियों वाला अशोक चक्र है, जो धर्म तथा ईमानदारी के मार्ग पर चलकर देश को उन्नति की ओर ले जाने की प्रेरणा देता है।
  • ध्वज की लम्बाई तथा चौड़ाई का अनुपात 3:2 है।
  • ध्वज का प्रयोग व प्रदर्शन एक संहिता द्वारा नियमित होता है।

National symbols of India
National symbols of India


Update Soon...

Wednesday, 14 June 2023

Countries and National Symbols

क्र० देश राष्ट्रीय चिह्न
1. भारत अशोक चक्र
2. जर्मनी ईगल
3. स्पेन ईगल
4. पोलैण्ड ईगल
5. बांग्लादेश कंबल (वाटर लिली)
6. चिली कंडोर एवं ह्युमुल
7. इजराइल कैंडलाब्रुम
8. संयुक्त राज्य अमेरिका गोल्डेन रॉड
9. तुर्की चाँद-तार
10. ईरान गुलाब का फूल
11. पाकिस्तान चमेली का फूल
12. जिम्बाब्वे जिम्बाब्वे पक्षी
13. रूस डबल हेडेड ईगल
14. डेनमार्क बीच
15. कनाडा मैपल पत्ती
16. ऑस्ट्रेलिया वैटल
17. नार्वे शेर
18. फ्रांस लिली
19. इटली सफेद लिली
20. यूनाइटेड किंगडम सफेद लिली


Countries and National Symbols
Countries and National Symbols


Thursday, 15 December 2022

The Achievements of Louis XIV

लुई चौदहवें की उपलब्धियों 

लुई तेरहवें की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र लुई चौदहवाँ फ्रांस का शासक बना। जब वह गद्दी पर बैठा तब वह मात्र 5 वर्ष का था। माँ ऐन ऑफ ऑस्ट्रिया उसकी संरक्षिका बनी व मेजारिन उसका प्रधानमंत्री बना, किन्तु मेजारिन ने इस पद को समाप्त करने की लुई से पेश की जब वह मृत्यु के निकट था । लुई चौदहवाँ संसदीय शासक का पक्षधर नहीं था। वह निरंकुश शासन में विश्वास रखता था। "मैं ही राज्य हूँ" ऐसा वह कहा करता उसके समय में स्टेट्स जनरल की बैठक एक भी बार नहीं हुई। वह शानशौकत भरा जीवन जीने का शौकीन था । वह 72 वर्ष की आयु तक फ्रांस का निरंकुश शासक बना रहा।

शेवाइल के विचार लुई चौदहवें के संबंध में हैं, "वह शासन के पूर्ण सत्ता सम्पन्न शासक के रूप में निरंकुश रूप से शासन करना चाहता था। राज्य की नीति का वह स्वयं एकमात्र निर्देशक था।" लॉर्ड एक्टन ने लुई चौदहवें के बारे में कहा- "आधुनिक काल में जन्म लेने वाले शासकों में लुई चौदहवाँ सबसे योग्य व्यक्ति था । "

डेविड ऑग ने लुई चौदहवें के संबंध में लिखा- लुई चौदहवाँ इस बात में विश्वास करता था कि राजत्व एक बहुत विशिष्ट कृति है जिसका लगातार प्रयोग होना चाहिए और उसमे मनुष्य को समझने की चतुराई होनी चाहिए। लुई चौदहवें को प्रश्न करने और उनके उत्तर देने की आदत थी। उसकी लाभप्रद सूचना का समीकरण करने और उसे अपनी ही वस्तु बनाकर उपयोग मे लाने की योग्यता लुई चौदहवें की ऐसी विशेषता थी जो प्रायः उन व्यक्तियों में होती है, जिन्हें विचार करने की अपेक्षा कार्यक्षेत्र में उतरना पड़ता है, किन्तु यह

उल्लेखनीय है कि सुई चौदहवे को उत्तराधिकार में सर्वोत्तम मंत्री प्राप्त हुए थे जिनकी मृत्यु के पश्चात् निम्नस्तरीय व्यक्तियों की नियुक्ति हुई। सुई चौदहवाँ स्वयं कहा करता था - परिश्रम करना शासक का कर्तव्य है जो शासक परिश्रम से जी चुराते हैं उनको ईश्वर के सामने कृतघ्न और मनुष्य के प्रति अन्यायी होना पड़ेगा।

वाल्टेयर ने लिखा है-लुई चौदहवाँ अपने समय का महान सम्राट था और उसके काल को एक महान काल कहा जा सकता है कि जिसमें फ्रांस के राज्य का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ा और 17वीं शताब्दी तक फ्रांस को सुई ने यूरोप को सर्वश्रेष्ठ देश बना दिया।

लुई चौदहवें की शासन व्यवस्था एवं गृह नीति लुई ने रिशलू की शासन को ही महत्व दिया। शासन व्यवस्था की विशेषताएँ:

1. स्टेट्स जनरल संस्थाओं के अधिकारों में कमी : लुई चौदहवे ने निरंकुश शासन स्थापित करने के लिए स्टेट्स जनरल संस्थाओं के अधिकारों में कमी की और उसने कम ही इसके अधिवेशन बुलाये। 

2. शासन की आन्तरिक व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया : लुई अच्छी प्रकार से जानता था कि जब तक शासन की आंतरिक स्थिति अच्छी नहीं होगी तब तक शासन में पूर्ण रूप से सुधार नहीं हो सकता है। उसने शासन की अन्दरूनी मामलों पर विशेष ध्यान दिया।

3. मध्यम वर्ग के लोगों की शासन में प्रमुखता : लुई चौदहवें ने शासन के महत्वपूर्ण पदों पर से महत्त्वाकांक्षी लोगों को हटाकर मध्यम वर्ग के लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया क्योंकि इस वर्ग के लोग लुई चौदहवें के प्रति विशेष श्रद्धा रखते थे। छेवर ने लिखा है-लुई मित्र खरीदने की कला में दक्ष था। लुई चौदहवें ने अनेक योग्य व्यक्तियों के साथ काल्वर्ट को फ्रांस का वित्तमंत्री नियुक्त किया।

4. आर्थिक विकास पर बल देना : लुई चौदहवाँ अच्छी प्रकार से जानता था कि जब तक फ्रांस का आर्थिक विकास नहीं होता है तब तक फ्रांस का चहुँमुखी विकास संभव नहीं है। बिना विकास से देश की प्रतिष्ठा स्थापित नहीं की जा सकती है। इसके लिए उसने औद्योगीकरण पर विशेष बल दिया। 

5. नये करों की व्यवस्था : लुई चौदहवें ने ऐसे करों की व्यवस्था की जो पूर्व में नहीं लगाये जाते थे जिससे राज्य को अधिक से अधिक राजस्व प्राप्त नहीं हो पाता था। धन के अभाव में विकास कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता था। 

6. विश्वविद्यालयों की स्थापना : योग्य लोगों की आवश्यकता को देखते हुए जो शासन में महत्वपूर्ण सहयोग दे सके इसके लिए लुई चौदहवे ने अनेक विश्वविद्यालयों की स्थापना की। नये शिक्षण संस्थाओं के खुलने से फ्रांस में कला और साहित्य की प्रगति को प्रोत्साहित किया।

7. रिक्त राजकोष को धन से भर देना : लुई चौदहवे ने अपने शासनकाल के : दौरान रिक्त राजकोष को धनधान्य से भर दिया। फ्रांस के युद्धों और सुई चौदहवें की दरबार की शानशौकत के लिए काल्वर्ट ने ही धन की व्यवस्था की ग्राण्ट महोदय ने लिखा है- "काल्वर्ट के सुधारों से फ्रांस में औद्योगिक विकास की उन्नति हुई। प्रजा धनी हुई और राजा शक्तिशाली बना।" 

8. व्यापार व्यवस्था में सुधार : लुई चौदहवे ने देश का व्यापार बढ़ाया जिससे देश की धन सम्पत्ति में वृद्धि हुई और प्रजा भी सम्पन्न हुई। उसने राजदरबार की शान-शौकत के साथ-साथ सेना को शक्तिशाली बनाने के लिए भी पर्याप्त धन-व्यय किया। फ्रांस में व्यापार से पर्याप्त वृद्धि हुई। अमेरिका, इटली, जर्मनी, ऑस्ट्रिया से फ्रांस का व्यापार कई गुणा बढ़ गया था। व्यापार स्थल एवं जलमार्ग दोनों मार्गों से होने के कारण पर्याप्त आय में वृद्धि हुई।

9. यातायात एवं अन्य सुधार : उसने आवागमन के लिए नये यातायात के साधनों का विकास किया। इसके अतिरिक्त नवीन मार्गों का निर्माण करवाया। उसका मानना था कि जब तक देश के अन्दर आवागमन के समुचित साधनों की व्यवस्था नहीं होगी तब तक औद्योगीकरण एवं व्यापार के क्षेत्र में पर्याप्त उन्नति नहीं की जा सकती है। उसने अनेक नहरों का निर्माण करवाया। 

10. कृषि व्यवस्था में सुधार : लुई चौदहवें ने खाद्यान्न संकट को दूर करने के लिए कृषि व्यवस्था में व्यापक सुधार कार्य किये। उसने ऐसे नवीन पद्धति के विकास पर बल दिया जिससे अधिक से अधिक कृषि के क्षेत्र में उत्पादन हो सके। कृषि के क्षेत्र में यन्त्रीकरण को बढ़ावा दिया। कृषि अनुसंधान के लिए नवीन प्रयोगशालाएँ स्थापित करवायी। कृषकों के लिए फसलों की बुवाई के समय अधिक से अधिक धन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की।

लुई चौदहवें की धार्मिक नीति

गैलिकन लिबर्टीज नामक अध्यादेश के द्वारा उसने घोषित किया कि पोप का क्षेत्र केवल आध्यात्मिक है और सम्राट पोप पर निर्भर नहीं है। पोप द्वारा इस अध्यादेश का विरोध करने की खुई चौदहवें ने कोई चिन्ता नहीं की।

हेज के अनुसार, "लुई चौदहवाँ चर्च पर नियंत्रण और धार्मिक एकता स्थापित करना चाहता था। पोप ने जब इसका विरोध किया तो वह पोप के साथ संघर्ष करने में भी नहीं

हिचकिचाया।" प्रोटेस्टेण्टों पर अत्याचार : लुई चौदहवें ने प्रोटेस्टेण्टों पर अनेक अत्याचार किये जिससे लोगों ने अपना देश फ्रांस छोड़ना उचित समझा और लुई के शत्रुओं से जा मिले। इससे लुई चौदहवें को आर्थिक हानि हुई।

लुई चौदहवें की विदेश नीति

लुई चौदहवें ने अपनी विदेश नीति में निम्नलिखित बिन्दुओं पर विशेष ध्यान दिया जो इस प्रकार से हैं-

1. साम्राज्य विस्तार पर बल : लुई चौदहवाँ अपने पिता की भाँति अधिक से अधिक अपने साम्राज्य का विस्तार करने का इन्छुक था। इसके लिए उसने वैदेशिक मामलों का निपटारा कठोरतापूर्ण तरीके से किया। 2. शस्त्रीकरण में विश्वास उसने अपने देश को अधिक से अधिक अत्याधुनिक हथियारों से परिपूर्ण बनाने पर बल दिया जिससे शत्रु सेना से आसानी से निपटा जा सके।

3. उच्च गुप्तचर व्यवस्था एवं शक्तिशाली देशों के साथ अनुकूल व्यवहार : मेजारिन के अनुसार उसने ऐसे देशों की एक सूची बनायी जिससे उसको वैदेशिक मामलों में सहयोग मिल सकता था। गुप्तचर प्रणाली को पुनर्गठित किया ताकि कोई आधी अधूरी सूचना ही नहीं प्राप्त हो सके।

4. वैदेशिक व्यापार पर बल : लुई चौदहवें ने अपने वैदेशिक मामलों के साथ-साथ वैदेशिक व्यापार पर भी महत्वपूर्ण ध्यान दिया। वह अपने निकटवर्ती राज्यों में अधिक से अधिक व्यापारिक सामग्री बेचकर धन कमाना चाहता था।

The Achievements of Louis XIV
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