Thursday 15 December 2022

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The Achievements of Louis XIV

लुई चौदहवें की उपलब्धियों 

लुई तेरहवें की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र लुई चौदहवाँ फ्रांस का शासक बना। जब वह गद्दी पर बैठा तब वह मात्र 5 वर्ष का था। माँ ऐन ऑफ ऑस्ट्रिया उसकी संरक्षिका बनी व मेजारिन उसका प्रधानमंत्री बना, किन्तु मेजारिन ने इस पद को समाप्त करने की लुई से पेश की जब वह मृत्यु के निकट था । लुई चौदहवाँ संसदीय शासक का पक्षधर नहीं था। वह निरंकुश शासन में विश्वास रखता था। "मैं ही राज्य हूँ" ऐसा वह कहा करता उसके समय में स्टेट्स जनरल की बैठक एक भी बार नहीं हुई। वह शानशौकत भरा जीवन जीने का शौकीन था । वह 72 वर्ष की आयु तक फ्रांस का निरंकुश शासक बना रहा।

शेवाइल के विचार लुई चौदहवें के संबंध में हैं, "वह शासन के पूर्ण सत्ता सम्पन्न शासक के रूप में निरंकुश रूप से शासन करना चाहता था। राज्य की नीति का वह स्वयं एकमात्र निर्देशक था।" लॉर्ड एक्टन ने लुई चौदहवें के बारे में कहा- "आधुनिक काल में जन्म लेने वाले शासकों में लुई चौदहवाँ सबसे योग्य व्यक्ति था । "

डेविड ऑग ने लुई चौदहवें के संबंध में लिखा- लुई चौदहवाँ इस बात में विश्वास करता था कि राजत्व एक बहुत विशिष्ट कृति है जिसका लगातार प्रयोग होना चाहिए और उसमे मनुष्य को समझने की चतुराई होनी चाहिए। लुई चौदहवें को प्रश्न करने और उनके उत्तर देने की आदत थी। उसकी लाभप्रद सूचना का समीकरण करने और उसे अपनी ही वस्तु बनाकर उपयोग मे लाने की योग्यता लुई चौदहवें की ऐसी विशेषता थी जो प्रायः उन व्यक्तियों में होती है, जिन्हें विचार करने की अपेक्षा कार्यक्षेत्र में उतरना पड़ता है, किन्तु यह

उल्लेखनीय है कि सुई चौदहवे को उत्तराधिकार में सर्वोत्तम मंत्री प्राप्त हुए थे जिनकी मृत्यु के पश्चात् निम्नस्तरीय व्यक्तियों की नियुक्ति हुई। सुई चौदहवाँ स्वयं कहा करता था - परिश्रम करना शासक का कर्तव्य है जो शासक परिश्रम से जी चुराते हैं उनको ईश्वर के सामने कृतघ्न और मनुष्य के प्रति अन्यायी होना पड़ेगा।

वाल्टेयर ने लिखा है-लुई चौदहवाँ अपने समय का महान सम्राट था और उसके काल को एक महान काल कहा जा सकता है कि जिसमें फ्रांस के राज्य का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ा और 17वीं शताब्दी तक फ्रांस को सुई ने यूरोप को सर्वश्रेष्ठ देश बना दिया।

लुई चौदहवें की शासन व्यवस्था एवं गृह नीति लुई ने रिशलू की शासन को ही महत्व दिया। शासन व्यवस्था की विशेषताएँ:

1. स्टेट्स जनरल संस्थाओं के अधिकारों में कमी : लुई चौदहवे ने निरंकुश शासन स्थापित करने के लिए स्टेट्स जनरल संस्थाओं के अधिकारों में कमी की और उसने कम ही इसके अधिवेशन बुलाये। 

2. शासन की आन्तरिक व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया : लुई अच्छी प्रकार से जानता था कि जब तक शासन की आंतरिक स्थिति अच्छी नहीं होगी तब तक शासन में पूर्ण रूप से सुधार नहीं हो सकता है। उसने शासन की अन्दरूनी मामलों पर विशेष ध्यान दिया।

3. मध्यम वर्ग के लोगों की शासन में प्रमुखता : लुई चौदहवें ने शासन के महत्वपूर्ण पदों पर से महत्त्वाकांक्षी लोगों को हटाकर मध्यम वर्ग के लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया क्योंकि इस वर्ग के लोग लुई चौदहवें के प्रति विशेष श्रद्धा रखते थे। छेवर ने लिखा है-लुई मित्र खरीदने की कला में दक्ष था। लुई चौदहवें ने अनेक योग्य व्यक्तियों के साथ काल्वर्ट को फ्रांस का वित्तमंत्री नियुक्त किया।

4. आर्थिक विकास पर बल देना : लुई चौदहवाँ अच्छी प्रकार से जानता था कि जब तक फ्रांस का आर्थिक विकास नहीं होता है तब तक फ्रांस का चहुँमुखी विकास संभव नहीं है। बिना विकास से देश की प्रतिष्ठा स्थापित नहीं की जा सकती है। इसके लिए उसने औद्योगीकरण पर विशेष बल दिया। 

5. नये करों की व्यवस्था : लुई चौदहवें ने ऐसे करों की व्यवस्था की जो पूर्व में नहीं लगाये जाते थे जिससे राज्य को अधिक से अधिक राजस्व प्राप्त नहीं हो पाता था। धन के अभाव में विकास कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता था। 

6. विश्वविद्यालयों की स्थापना : योग्य लोगों की आवश्यकता को देखते हुए जो शासन में महत्वपूर्ण सहयोग दे सके इसके लिए लुई चौदहवे ने अनेक विश्वविद्यालयों की स्थापना की। नये शिक्षण संस्थाओं के खुलने से फ्रांस में कला और साहित्य की प्रगति को प्रोत्साहित किया।

7. रिक्त राजकोष को धन से भर देना : लुई चौदहवे ने अपने शासनकाल के : दौरान रिक्त राजकोष को धनधान्य से भर दिया। फ्रांस के युद्धों और सुई चौदहवें की दरबार की शानशौकत के लिए काल्वर्ट ने ही धन की व्यवस्था की ग्राण्ट महोदय ने लिखा है- "काल्वर्ट के सुधारों से फ्रांस में औद्योगिक विकास की उन्नति हुई। प्रजा धनी हुई और राजा शक्तिशाली बना।" 

8. व्यापार व्यवस्था में सुधार : लुई चौदहवे ने देश का व्यापार बढ़ाया जिससे देश की धन सम्पत्ति में वृद्धि हुई और प्रजा भी सम्पन्न हुई। उसने राजदरबार की शान-शौकत के साथ-साथ सेना को शक्तिशाली बनाने के लिए भी पर्याप्त धन-व्यय किया। फ्रांस में व्यापार से पर्याप्त वृद्धि हुई। अमेरिका, इटली, जर्मनी, ऑस्ट्रिया से फ्रांस का व्यापार कई गुणा बढ़ गया था। व्यापार स्थल एवं जलमार्ग दोनों मार्गों से होने के कारण पर्याप्त आय में वृद्धि हुई।

9. यातायात एवं अन्य सुधार : उसने आवागमन के लिए नये यातायात के साधनों का विकास किया। इसके अतिरिक्त नवीन मार्गों का निर्माण करवाया। उसका मानना था कि जब तक देश के अन्दर आवागमन के समुचित साधनों की व्यवस्था नहीं होगी तब तक औद्योगीकरण एवं व्यापार के क्षेत्र में पर्याप्त उन्नति नहीं की जा सकती है। उसने अनेक नहरों का निर्माण करवाया। 

10. कृषि व्यवस्था में सुधार : लुई चौदहवें ने खाद्यान्न संकट को दूर करने के लिए कृषि व्यवस्था में व्यापक सुधार कार्य किये। उसने ऐसे नवीन पद्धति के विकास पर बल दिया जिससे अधिक से अधिक कृषि के क्षेत्र में उत्पादन हो सके। कृषि के क्षेत्र में यन्त्रीकरण को बढ़ावा दिया। कृषि अनुसंधान के लिए नवीन प्रयोगशालाएँ स्थापित करवायी। कृषकों के लिए फसलों की बुवाई के समय अधिक से अधिक धन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की।

लुई चौदहवें की धार्मिक नीति

गैलिकन लिबर्टीज नामक अध्यादेश के द्वारा उसने घोषित किया कि पोप का क्षेत्र केवल आध्यात्मिक है और सम्राट पोप पर निर्भर नहीं है। पोप द्वारा इस अध्यादेश का विरोध करने की खुई चौदहवें ने कोई चिन्ता नहीं की।

हेज के अनुसार, "लुई चौदहवाँ चर्च पर नियंत्रण और धार्मिक एकता स्थापित करना चाहता था। पोप ने जब इसका विरोध किया तो वह पोप के साथ संघर्ष करने में भी नहीं

हिचकिचाया।" प्रोटेस्टेण्टों पर अत्याचार : लुई चौदहवें ने प्रोटेस्टेण्टों पर अनेक अत्याचार किये जिससे लोगों ने अपना देश फ्रांस छोड़ना उचित समझा और लुई के शत्रुओं से जा मिले। इससे लुई चौदहवें को आर्थिक हानि हुई।

लुई चौदहवें की विदेश नीति

लुई चौदहवें ने अपनी विदेश नीति में निम्नलिखित बिन्दुओं पर विशेष ध्यान दिया जो इस प्रकार से हैं-

1. साम्राज्य विस्तार पर बल : लुई चौदहवाँ अपने पिता की भाँति अधिक से अधिक अपने साम्राज्य का विस्तार करने का इन्छुक था। इसके लिए उसने वैदेशिक मामलों का निपटारा कठोरतापूर्ण तरीके से किया। 2. शस्त्रीकरण में विश्वास उसने अपने देश को अधिक से अधिक अत्याधुनिक हथियारों से परिपूर्ण बनाने पर बल दिया जिससे शत्रु सेना से आसानी से निपटा जा सके।

3. उच्च गुप्तचर व्यवस्था एवं शक्तिशाली देशों के साथ अनुकूल व्यवहार : मेजारिन के अनुसार उसने ऐसे देशों की एक सूची बनायी जिससे उसको वैदेशिक मामलों में सहयोग मिल सकता था। गुप्तचर प्रणाली को पुनर्गठित किया ताकि कोई आधी अधूरी सूचना ही नहीं प्राप्त हो सके।

4. वैदेशिक व्यापार पर बल : लुई चौदहवें ने अपने वैदेशिक मामलों के साथ-साथ वैदेशिक व्यापार पर भी महत्वपूर्ण ध्यान दिया। वह अपने निकटवर्ती राज्यों में अधिक से अधिक व्यापारिक सामग्री बेचकर धन कमाना चाहता था।

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