Friday, 17 November 2023
Friday, 13 October 2023
नाम | अलग करती है | जोड़ती है |
बास्पोरस जलसंधि | एशिया एवं यूरोप | काला सागर एवं मरमरा (एजियन) सागर |
डारडनेल्स जलसंधि | एशिया एवं यूरोप | मरमरा सागर एवं भूमध्य सागर |
पाक जलसंधि | भारत एवं श्रीलंका | मन्नार एवं बंगाल की खाड़ी |
बाव-एल मंडेव जलसंधि | यमन-जिबूती | लाल सागर एवं अरब सागर |
कारीमाटा जलसंधि | इण्डोनेशिया | दक्षिणी चीन सागर एवं जावा सागर |
वाला बैंक जलसंधि | पलावान-बोर्नियो | सुलू सागर एवं सेलेबीज सागर |
टोकरा जलसंधि | जापान | पूर्वी चीन सागर एवं प्रशान्त महासागर |
नेमुरो जलसंधि | जापान | प्रशान्त महासागर |
सुगारु जलसंधि | जापान | जापान सागर एवं प्रशांत महासागर |
सुशीमा जलसंधि | जापान | जापान सागर एवं पूर्वी चीन सागर |
फोरमोसा जलसंधि | ताईवान एवं चीन | पूर्वी चीन सागर एवं दक्षिणी चीन सागर |
कोरिया जलसंधि | दक्षिण कोरिया एवं क्यूशू (जापान) | पीला सागर एवं जापान सागर |
तत्तर जलसंधि | पूर्वी रूस एवं सखालिन | ओखोट्स सागर एवं जापान सागर |
लापैरोज जलसंधि | सखालिन द्वीप एवं हैकेडो द्वीप | ओखोट्स सागर एवं जापान सागर |
बेरिंग जलसंधि | एशिया (रूस) एवं उत्तरी अमेरिका (अलास्का) | पूर्वी साईबेरियन सागर एवं बेरिंग सागर |
लूजोन जलसंधि | ताईवान एवं लूजोन (फिलीपींस) | दक्षिणी चीन सागर एवं प्रशांत महासागर |
मकस्सार जलसंधि | बोर्नियो (केलिमंटन) एवं सेलिबीज द्वीप | सेलेबीज सागर एवं जावा सागर |
सुण्डा जलसंधि | जावा एवं सुमात्रा | जावा सागर एवं हिंद महासागर |
मलक्का जलसंधि | मलय प्रायद्वीप एवं सुमात्रा | जावा सागर (दक्षिणी चीन सागर) एवं बंगाल की खाड़ी (हिन्द महासागर) |
जाहौर जलसंधि | सिंगापुर एवं मलेशिया | दक्षिणी चीन सागर एवं मलक्का जल संधि |
होरमुज जलसंधि | संयुक्त अरब अमीरात एवं ईरान | फारस की खाड़ी एवं ओमान की खाड़ी |
Tuesday, 12 September 2023
क्र० | नाम | पद अवधि |
1. | सुकुमार सेन | 21 मार्च, 1950 - 19 दिसम्बर, 1958 |
2. | के०वी०के० सुंदरम | 20 दिसम्बर, 1958 - 30 सितम्बर, 1967 |
3. | एस०पी० सेन वर्मा | 1 अक्टूबर, 1967 - 30 सितम्बर, 1972 |
4. | डॉ० नगेन्द्र सिंह | 1 अक्टूबर, 1972 - 6 फरवरी, 1973 |
5. | टी० स्वामीनाथन | 7 फरवरी, 1973 - 17 जून, 1977 |
6. | एस०एल० शकधर | 18 जून, 1977 - 17 जून, 1982 |
7. | आर०के० त्रिवेदी | 18 जून, 1982 - 31 दिसम्बर, 1985 |
8. | आर०वी०एस० पेरिशास्त्री | 1 जनवरी, 1986 - 25 नवम्बर, 1990 |
9. | श्रीमती वी०एस० रमादेवी | 26 नवम्बर, 1990 - 11 दिसम्बर, 1990 |
10. | टी०एन० शेषन | 12 दिसम्बर, 1990 - 11 दिसम्बर, 1996 |
11. | एम०एस० गिल | 12 दिसम्बर, 1996 - 13 जून, 2001 |
12. | जे०एम० लिंगदोह | 14 जून, 2001 - 7 फरवरी, 2004 |
13. | टी०एस० कृष्णामूर्ति | 8 फरवरी, 2004 - 15 मई, 2005 |
14. | बी०बी० टंडन | 16 मई, 2005 - 29 जून, 2006 |
15. | एन० गोपालस्वामी | 30 जून, 2006 - 20 अप्रैल, 2009 |
16. | नवीन चावला | 21 अप्रैल, 2009 - 29 जुलाई, 2010 |
17. | एस०वाई० कुरैशी | 30 जुलाई, 2010 - 10 जून, 2012 |
18. | वी०एस० संपत | 11 जून, 2012 - 15 जनवरी, 2015 |
19. | हरिशंकर ब्रह्मा | 16 जनवरी, 2015 - 18 अप्रैल, 2015 |
20. | नसीम जैदी | 19 अप्रैल, 2015 - 5 जुलाई, 2017 |
21. | अचल कुमार ज्योति | 6 जुलाई, 2017 - 22 जनवरी, 2018 |
22. | ओम प्रकाश रावत | 23 जनवरी, 2018 - 1 दिसम्बर, 2018 |
23. | सुनील अरोड़ा | 2 दिसम्बर, 2018 - 12 अप्रैल, 2021 |
24. | सुशील चन्द्रा | 13 अप्रैल, 2021 - 14 मई, 2022 |
25. | राजीव कुमार | 15 मई, 2022 - अब तक |
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Chief Election Commissioner of India |
Friday, 18 August 2023
क्र० | नाम | पद अवधि |
1. | हरिलाल जे० कानिया | 26 जनवरी, 1947 - 6 नवम्बर, 1951 |
2. | एम० पंतजलि शास्त्री | 7 नवम्बर, 1951 - 3 जनवरी, 1954 |
3. | मेहर चंद महाजन | 4 जनवरी, 1954 - 22 दिसम्बर, 1954 |
4. | बी० के० मुखर्जी | 23 दिसम्बर, 1954 - 31 जनवरी, 1956 |
5. | एस०आर० दास | 1 फरवरी, 1956 - 30 सितम्बर, 1959 |
6. | भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा | 1 अक्टूबर, 1959 - 31 जनवरी, 1964 |
7. | पी०बी० गजेंद्रगडकर | 1 फरवरी, 1964 - 15 मार्च, 1966 |
8. | ए०के० सरकार | 16 मार्च, 1966 - 29 जून, 1966 |
9. | के० सुब्बाराव | 30 जून, 1966 - 11 अप्रैल, 1967 |
10. | के० एन० वांचू | 12 अप्रैल, 1967 - 24 फरवरी, 1968 |
11. | एम० हिदायतुल्लाह | 25 फरवरी, 1968 - 16 दिसम्बर, 1970 |
12. | जे०सी० शाह | 17 दिसम्बर, 1970 - 21 जनवरी, 1971 |
13. | एस०एम० सीकरी | 22 जनवरी, 1971 - 25 अप्रैल, 1973 |
14. | ए०एन० रे | 26 अप्रैल, 1973 - 28 जनवरी, 1977 |
15. | एम०एच० बेग | 29 जनवरी, 1977 - 21 फरवरी, 1978 |
16. | वाई०वी० चंद्रचूड़ | 22 फरवरी, 1978 - 11 जुलाई, 1985 |
17. | प्रफुल्लचंद्र नटवरलाल भगवती | 12 जुलाई, 1985 - 20 दिसम्बर, 1986 |
18. | रघुनन्दन स्वरूप पाठक | 21 दिसम्बर, 1986 - 18 जून, 1989 |
19. | ई०एस० वेंकटरमैया | 19 जून, 1989 - 2 दिसम्बर, 1989 |
20. | एस० मुखर्जी | 18 दिसम्बर, 1989 - 25 सितम्बर, 1990 |
21. | रंगनाथ मिश्र | 25 सितम्बर, 1990 - 24 नवम्बर, 1991 |
22. | के०एन० सिंह | 25 नवम्बर, 1991 - 12 दिसम्बर, 1991 |
23. | एम०एच० कानिया | 13 दिसम्बर, 1991 - 17 नवम्बर, 1992 |
24. | एल०एम० शर्मा | 18 नवम्बर, 1992 - 11 फरवरी, 1993 |
25. | एम०एन० वेंकटचलैया | 12 फरवरी, 1993 - 24 अक्टूबर, 1994 |
26. | ए०एम० अहमदी | 25 अक्टूबर, 1994 - 24 मार्च, 1997 |
27. | जे०एस० वर्मा | 25 मार्च, 1997 - 17 जनवरी, 1998 |
28. | एम०एम० पंछी | 18 जनवरी, 1998 - 9 अक्टूबर, 1998 |
29. | ए०एस० आनन्द | 10 अक्टूबर, 1998 - 31 अक्टूबर, 2001 |
30. | एस०पी० भरुचा | 1 नवम्बर, 2001 - 5 मई, 2002 |
31. | बी०एन० कृपाल | 6 मई, 2002 - 7 नवम्बर, 2002 |
32. | जी०बी० पटनायक | 8 नवम्बर, 2002 - 18 दिसम्बर, 2002 |
33. | वी०एन० खरे | 19 दिसम्बर, 2002 - 1 मई, 2004 |
34. | एस०राजेन्द्र बाबू | 2 मई, 2004 - 31 मई, 2004 |
35. | आर०सी० लाहोटी | 1 जून, 2004 - 31 अक्टूबर, 2005 |
36. | वाई० के० सब्बरवाल | 1 नवम्बर, 2005 - 13 जनवरी, 2007 |
37. | के०जी० बालाकृष्णनन | 14 जनवरी, 2007 - 11 मई, 2010 |
38. | एस०एच० कपाड़िया | 12 मई, 2010 - 28 सितम्बर, 2012 |
39. | अल्तमश कबीर | 29 सितम्बर, 2012 - 18 जुलाई, 2013 |
40. | पी० सदाशिवम | 19 जुलाई, 2013 - 26 अप्रैल, 2014 |
41. | आर०एम० लोढ़ा | 27 अप्रैल, 2014 - 27 सितम्बर, 2014 |
42. | एच०एल० दत्तू | 28 सितम्बर, 2014 - 2 दिसम्बर, 2015 |
43. | टी०एस० ठाकुर | 3 दिसम्बर, 2015 - 3 जनवरी, 2017 |
44. | जे०एस० खट्टर | 4 जनवरी, 2017 - 27 अगस्त, 2017 |
45. | दीपक मिश्रा | 28 अगस्त, 2017 - 2 अक्टूबर, 2018 |
46. | रंजन गोगोई | 3 अक्टूबर, 2018 - 17 नवम्बर, 2019 |
47. | शरद अरविन्द बोबड़े | 18 नवम्बर, 2019 - 23 अप्रैल, 2021 |
48. | एन०वी० रमण | 24 अप्रैल, 2021 - 26 अगस्त, 2022 |
49. | उदय उमेश ललित | 27 अगस्त, 2022 - 8 नवम्बर, 2022 |
50. | धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़ | 9 नवम्बर, 2022 - अब तक |
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Chief Justice of India |
Thursday, 20 July 2023
राष्ट्रीय चिह्न
- राष्ट्रीय चिह्न सारनाथ स्थित अशोक के सिंह- स्तम्भ के शीर्ष की अनुकृति है।
- सारनाथ स्थित अशोक के सिंह-स्तम्भ में चार शेर खुले मुख करके एक-दूसरे की ओर पीठ करके दृष्टिगोचर होते हैं। राष्ट्रीय चिह्न में सिर्फ तीन ही शेर दिखाई देते हैं, जिनके नीचे की पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है, जिसके दाईं ओर एक सांड़ और बाईं ओर एक घोड़ा है। दाएँ तथा बाएँ छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे दृष्टिगत होते हैं।
- राष्ट्रीय चिह्न के दो भाग हैं - शीर्ष और आधार।
- शीर्ष पर शेर को दिखलाया गया है, जो साहस व शक्ति का प्रतीक है।
- आधार भाग में एक धर्म-चक्र है। चक्र के दाईं ओर एक बैल है, जो कठिन परिश्रम व स्फूर्ति का प्रतीक है तथा बाईं ओर एक घोड़ा है, जो ताकत व गति का प्रतीक है।
- आधार के बीच में देवनागरी लिपि में 'सत्यमेव जयते' लिखा गया है, जो मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है।
- इस राष्ट्रीय चिह्न को 26 जनवरी, 1950 को अपनाया गया था।
- इस राष्ट्रीय चिह्न का प्रयोग सरकारी कागजों, नोटों, सिक्कों तथा मोहरों पर होता है।
- संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) का प्रारूप 22 जुलाई, 1947 को अपनाया था।
- ध्वज में समान अनुपात वाली तीन आड़ी पट्टियाँ हैं, जो केसरिया, सफेद व हरे रंग की हैं।
- ध्वज के ऊपर गहरा केसरिया रंग होता है, जो जागृति, शौर्य तथा त्याग का प्रतीक है, बीच में सफेद रंग होता है, जो सत्य एवं पवित्रता का प्रतीक है तथा सबसे नीचे गहरा हरा रंग होता है, जो जीवन एवं समृद्धि का प्रतीक है।
- ध्वज के बीच में सफेद रंग वाली पट्टी के बीच में गहरे नीले रंग का 24 तीलियों वाला अशोक चक्र है, जो धर्म तथा ईमानदारी के मार्ग पर चलकर देश को उन्नति की ओर ले जाने की प्रेरणा देता है।
- ध्वज की लम्बाई तथा चौड़ाई का अनुपात 3:2 है।
- ध्वज का प्रयोग व प्रदर्शन एक संहिता द्वारा नियमित होता है।
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National symbols of India |
Wednesday, 14 June 2023
क्र० | देश | राष्ट्रीय चिह्न |
1. | भारत | अशोक चक्र |
2. | जर्मनी | ईगल |
3. | स्पेन | ईगल |
4. | पोलैण्ड | ईगल |
5. | बांग्लादेश | कंबल (वाटर लिली) |
6. | चिली | कंडोर एवं ह्युमुल |
7. | इजराइल | कैंडलाब्रुम |
8. | संयुक्त राज्य अमेरिका | गोल्डेन रॉड |
9. | तुर्की | चाँद-तार |
10. | ईरान | गुलाब का फूल |
11. | पाकिस्तान | चमेली का फूल |
12. | जिम्बाब्वे | जिम्बाब्वे पक्षी |
13. | रूस | डबल हेडेड ईगल |
14. | डेनमार्क | बीच |
15. | कनाडा | मैपल पत्ती |
16. | ऑस्ट्रेलिया | वैटल |
17. | नार्वे | शेर |
18. | फ्रांस | लिली |
19. | इटली | सफेद लिली |
20. | यूनाइटेड किंगडम | सफेद लिली |
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Countries and National Symbols |
Friday, 12 May 2023
राशि | मात्रक(S.I) | प्रतीक |
लम्बाई | मीटर | m |
द्रव्यमान | किलोग्राम | kg |
समय | सेकेंड | s |
कार्य तथा ऊर्जा | जूल | J |
विधुत धारा | एम्पियर | A |
ऊष्मागतिक ताप | केल्विन | K |
ज्योति तीव्रता | कैण्डेला | cd |
कोण | रेडियन | rad |
ठोस कोण | स्टेरेडियन | sr |
बल | न्यूटन | N |
क्षेत्रफल | वर्गमीटर | m2 |
आयतन | घनमीटर | m3 |
चाल | मीटर प्रति सेकेण्ड | ms-1 |
कोणीय वेग | रेडियन प्रति सेकेण्ड | rad s-1 |
आवृत्ति | हर्ट्ज | Hz |
जड़त्व आघूर्ण | किलोग्राम वर्गमीटर | kgm2 |
संवेग | किलोग्राम मीटर प्रति सेकेण्ड | kg ms-1 |
आवेग | न्यूटन - सेकण्ड | Ns |
कोणीय संवेग | किलोग्राम वर्गमीटर प्रति सेकेण्ड | kgm2s-1 |
दाब | पास्कल | Pa |
शक्ति | वाट | W |
पृष्ठ तनाव | न्यूटन प्रति मीटर | Nm-1 |
श्यानता | न्यूटन सेकेण्ड प्रति वर्ग मीटर | Nsm-2 |
ऊष्मा चालकता | वाट प्रति मीटर प्रति डिग्री सेण्टीग्रेड | Wm-1 oC-1 |
विशिष्ट ऊष्मा | जूल प्रति किलोग्राम प्रति केल्विन | J kg-1K-1 |
विधुत आवेश | कूलॉम | C |
विभवान्तर | वोल्ट | V |
विधुत प्रतिरोध | ओम | Ω |
विधुत धारिता | फैराड | F |
प्रेरक | हेनरी | H |
चुम्बकीय-फ्लक्स | बेवर | Wb |
ज्योति फ्लक्स | ल्यूमेन | lm |
प्रदीप्ति घनत्व | लक्स | lx |
तरंगदैर्ध्य | ऐंग्स्ट्रम | Å |
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Various Units of Measurement and Weight |
Saturday, 15 April 2023
जिस प्रकार शरीर की संरचना हाथ पाँव, नाक, कान, आँख एवं मुँह आदि कई अंगों अथवा इकाइयों से मिलकन बनी होती है। ठीक इसी प्रकार से समाज की संरचना भी होती है। प्रत्येक भौतिक वस्तु की एक संरचना होती है जो कई इकाइयों या तत्वों से मिलकर बनी होती है। ये इकाइयों परस्पर एक-दूसरे से सम्बन्धित होती हैं। इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रत्येक संरचना का निर्माण कई अंगों अथवा इकाइयों से मिलकर होता है। इन इकाइयों में परस्पर स्थायी एवं व्यवस्थित सम्बन्ध पाये जाते हैं। ये अंग अथवा इकाइयाँ स्थिर रहती हैं। संरचना का सम्बन्ध बाहर की आकृति व स्वरूप से होता है। उसका संबंध आन्तरिक रचना से नहीं होता है। इस तरह से स्पष्ट होता है कि जिस प्रकार शरीर या भौतिक वस्तु की संरचना होती है, उसी प्रकार से समाज की भी एक संरचना होती है जिसे सामाजिक संरचना कहा जाता है। समाज की संरचना भी शरीर की तरह ही कई इकाइयों, जैसे परिवार, संस्थाओं, संघों, प्रतिमानों, मूल्यों एवं पदों आदि से बनी होती है।
सामाजिक संरचना का अर्थ व परिभाषायें विभिन्न समाजशास्त्रियों ने जो सामाजिक संरचना की परिभाषायें दी हैं, उनमें से प्रमुख निम्न प्रकार हैं-
1. मैकाइवर एवं पेज के अनुसार “समूहो के विभिन्न प्रकारों से मिलकर सामाजिक संरचना के जटिल प्रतिमानों का निर्माण होता है।"
2. मजूमदार एवं मदान के अनुसार "पुनरावृत्तीय सामाजिक संबंधों के तुलनात्मक स्थायी पक्षों से सामाजिक संरचना बनती है।"
3. टाल कॉट पारसन्स के अनुसार "सामाजिक संरचना परस्पर संबंधित संस्थाओं, एजेन्सियों और सामाजिक प्रतिमानों तथ साथ ही समूह में प्रत्येक सदस्य द्वारा ग्रहण किये गये पदों तथा कार्यों की विशिष्ट क्रमबद्धता को कहते हैं।'
4. कार्ल मानहीम के अनुसार "सामाजिक संरचना परस्पर क्रिया करती हुई सामाजिक शक्तियों का जाल है, जिसमें अवलोकन और चिन्तन की विभिन्न प्रणालियों का जन्म होता है।'
5. जिन्स वर्ग के अनुसार "सामाजिक संरचना का अध्ययन सामाजिक संगठन के प्रमुख स्वरूपों अर्थात् समूहों, समितियों तथा संस्थाओं के प्रकार एवं इन सबके संकुल जिससे कि समाज का निर्माण होता है, से संबंधित हैं। "
6. एच. एम. जोनसन के अनुसार "किसी वस्तु की संरचना उसके अंगों के अपेक्षाकृत स्थायी अन्तर्सम्बन्धों से निर्मित होती है, स्वयं 'अंग' शब्द से ही कुछ स्थायित्व के अंग का ज्ञापन होता है। सामाजिक प्रणाली क्योंकि लोगों के अन्तर्सम्बन्धित कृत्यों से निर्मित होती हैं, इसकी संरचना भी इन कृत्यों में पायी जाने वाली नियमितता या पुनरावृत्ति के अंशों में ढूँढी जानी चाहिए।"
7. ब्राउन के अनुसार "सामाजिक संरचना के अंग या भाग मनुष्य ही है, और स्वयं संरचना संस्था द्वारा परिभाषित और नियमित संबंधों में लगे हुए व्यक्तियों की एक क्रमबद्धता है।"
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर यह स्पष्ट हो जाता है कि सामाजिक संरचना समाज की विभिन्न इकाइयों, समूहों, संस्थाओं, समितियों एवं सामाजिक सम्बन्धों से निर्मित एक प्रतिमार्वनत एवं क्रमबद्ध ढाँचा है। इस प्रकार सामाजिक संरचना अपेक्षतया एक स्थिर अवधारणा है। जिसमें परिवर्तन अपवादस्वरूप ही देखने को मिलते हैं।
सामाजिक संरचना की विशेषताएँ (Characteristics of Social Structure)
सामाजिक संरचना की अवधारणा को इसकी कुछ प्रमुख विशेषताओं के आधार पर निम्नांकित रूप से समझा जा सकता है-
1. सामाजिक संरचना एक क्रमबद्धता है : इसका तात्पर्य यह है कि जिन इकाइयों 8 के द्वारा सामाजिक संरचना का निर्माण होता है, वे एक क्रमबद्धता में व्यवस्थित होती है। यही क्रमबद्धता सामाजिक संरचना के एक विशेष प्रतिमान को स्पष्ट करती है।
2. सामाजिक संरचना अपेक्षाकृत स्थायी होती है : इसे स्पष्ट करते हुए जॉन्सन ने लिखा है कि सामाजिक संरचना का निर्माण जिन समूहों तथा संघों से होता है, उनकी प्रकृति कहीं अधिक स्थायी होती है। उदाहरण के लिए, परिवार में यदि कर्ता या किसी अन्य सदस्य की मृत्यु हो जाय तो भी संयुक्त परिवार की संरचना में कोई परिवर्तन नहीं होता।
3. सामाजिक संरचना की अनेक उप-संरचनाएँ होती हैं: सामाजिक संरचना का निर्माण करने वाली विभिन्न इकाइयों की संरचना को उनकी उप-संरचना कहा जाता है। उदाहरण के लिए, राज्य, सरकार, राजनीतिक दल तथा दबाव समूह एक राजनीतिक संरचना की उप-संरचनाएँ हैं। इसी तरह पंचायत, युवागृह तथा नातेदारी व्यवस्था, जनजातीय सामाजिक संरचना की उप-संरचनाएँ हैं। सांस्कृतिक संरचना का निर्माण करने में बहुत-सी परम्पराओं, प्रथाओं तथा मूल्यों का समावेश होता है तथा इन सभी की अपनी उप-संरचनाएँ होती हैं। यह सभी उप-संरचनाएँ मिलकर एक विशेष सामाजिक संरचना का निर्माण करती है।
4. सामाजिक संरचना के विभिन्न अंग परस्पर संबंधित होते हैं: यदि उपर्युक्त उदाहरणों के आधार पर देखा जाये तो स्पष्ट होता है कि नातेदारी की संरचना शैक्षणिक, आर्थिक, धार्मिक और मनोरंजनात्मक उप-संरचनाओं से संबंधित होती है। इसी तरह व्यक्ति के समाजीकरण में परिवार, विद्यालय, धर्म, सरकार, राजनीतिक दलों तथा आर्थिक उप-संरचनाओं का समान योगदान होता है। इस प्रकार सभी उप-संरचनाएँ एक-दूसरे से संबंधित रहकर किसी सामाजिक संरचना को उपयोगी और प्रभावशाली बनाती हैं।
5. सामाजिक संरचना में मूल्यों का समावेश होता है : इसका तात्पर्य यह है कि व्यवहार और सम्मान के अनेक तरीके, जनरीतियाँ, प्रथाएँ, परम्पराएँ तथा प्रतीक इसका निर्धारण करते हैं कि किसी सामाजिक संरचना की प्रकृति किस प्रकार की होगी। विभिन्न समाजों के सामाजिक मूल्य एक-दूसरे से भिन्न होने के कारण ही उनकी सामाजिक संरचना में एक स्पष्ट अन्तर दिखायी देता है।
6. सामाजिक संरचना के प्रत्येक अंग के निर्धारित प्रकार्य होते हैं: इन प्रकार्यों का निर्धारण सामाजिक मूल्यों तथा सामाजिक प्रतिमानों के द्वारा होता है। इन मूल्यों और प्रतिमानों में साधारणतया कोई परिवर्तन न होने के कारण भी सामाजिक संरचना की प्रकृति तुलनात्मक रूप से स्थायी हो जाती है।
7. सामाजिक संरचना अमूर्त होती है : पारसन्स ने लिखा है कि सामाजिक संरचना कोई वस्तु अथवा व्यक्तियों का संगठन नहीं है, बल्कि यह केवल अनेक इकाइयों की कार्यविधियों और उनके पारस्परिक संबंधों का एक प्रतिमान है। मैकाइवर का कथन है कि जिस प्रकार हम समाज को देख नहीं सकते, उसी तरह सामाजिक संरचना भी एक अमूर्त अवधारणा है। यह सत्य है कि परिवार, गाँव, जाति, वर्ग, राज्य तथा विभिन्न समितियाँ और संस्थाएँ सामाजिक संरचना का निर्माण करने वाली विभिन्न इकाइयाँ हैं किन्तु सामाजिक संरचना का तात्पर्य इन इकाइयों के बाहरी रूप से न होकर उस क्रमबद्धता से है जो समाज के एक विशेष प्रतिमान को स्पष्ट करती है। इससे स्पष्ट होता है कि सामाजिक संरचना की प्रकृति अमूर्त होती है।
8. सामाजिक संरचना का तात्पर्य सदैव संगठन से नहीं होता : यह ध्यान रखना आवश्यक है कि सामाजिक व्यवस्था संगठन का बोध कराती है परन्तु सामाजिक संरचना में कुछ व्यक्ति अथवा इकाइयाँ भी हो सकती हैं जिनके व्यवहार सामाजिक नियमों के प्रतिकूल हो। इसे मर्टन ने सामाजिक नियमहीनता' कहा है। इससे स्पष्ट होता है कि सामाजिक संरचना का संबंध केवल सामाजिक संगठन की दशा से ही नहीं होता, बल्कि इसमें उन सभी दशाओं का समावेश होता है जो संगठन और विघटन के तत्वों का बोध कराती हैं।
9. सामाजिक संरचना स्थानीय आवश्यकताओं से प्रभावित होती है : वास्तव में, एक विशेष सामाजिक संरचना का निर्माण उसकी सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक और भौगोलिक आवश्यकताओं के आधार पर होता है। जब कभी इन दशाओं अथवा आवश्यकताओं में परिवर्तन होता है, तब सामाजिक संरचना का निर्माण करने वाली उप-संरचनाओं में भी कुछ परिवर्तन होने लगता है, यद्यपि सम्पूर्ण संरचना में जल्दी ही कोई परिवर्तन नहीं होता।
इस प्रकार स्पष्ट होता है कि सामाजिक संरचना का एक वाह्य रूप है जिसके निर्माण में बहुत-से समूहों, संस्थाओं, समितियों तथा सामाजिक मूल्यों का योगदान होता है। इन सभी इकाइयों की प्रकृति का निर्धारण एक विशेष संस्कृति पर आधारित होने के कारण ही सामाजिक संरचना को अक्सर सांस्कृतिक संरचना भी कह दिया जाता है।
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Social Structure and its Features |